<p style="text-align: justify;"><strong>नई दिल्ली:</strong> <a href="https://abpnews.abplive.in/topic/bhima-koregaon-violence"><strong>भीमा कोरेगांव हिंसा</strong></a> मामले में वकील, पत्रकार, लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को लेकर महाराष्ट्र पुलिस विपक्षी दल ही नहीं अदालतों के सवालों के घेरे में भी आ गई है. कल ही जब गिरफ्तारी का विरोध कर रहे लोगों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो पुलिस गिरफ्तारी के कारणों को गिनाने में नाकाम रही. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार के वकील से पूछा कि घटना के 9 महीने के बाद अचानक गिफ्तारी की वजह क्या है? इसका कोई भी सटीक जवाब महाराष्ट्र के वकील नहीं दे सके.</p> <p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान सरकार के वकील को फटकारते हुए कहा कि असली सवाल लोकतंत्र का है, लोकतंत्र में असहमति सेफ्टी वाल्व की तरह है, अगर सेफ्टी वाल्व को बंद किया गया तो प्रेशर कूकर फट सकता है. अदालत ने पुलिस को झटका देते हुए गिरफ्तार वरवर राव, वेरनन गोंसाल्विज, अरूण फरेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को 6 अगस्त तक नजरबंद रखने के लिए कहा. यानि सभी अपने घर में रहेंगे. पुलिस रिमांड पर उन्हें नहीं रख सकती है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>हाईकोर्ट ने भी की सख्त टिप्पणी</strong> बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी पुलिस पर सवाल उठाए. भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मंगलवार को दिल्ली से गिरफ्तार किए गए एक्टिविस्ट गौतम नवलखा केस की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पूछा कि निचली अदालत ने मराठी भाषा में दस्तावेजों को देखकर कैसे ट्रांज़िट रिमांड दे दी? वहीं सरकारी वकील ने कहा है कि सारे नियमों और कानून का पालन कर ही गिरफ्तारी हुई है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong><a href="https://abpnews.abplive.in/india-news/maharashtra-police-said-they-arrested-activists-on-basis-of-proof-951957">शीर्ष राजनीतिज्ञ थे निशाने पर, सबूतों के आधार पर की गयी भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तारियां: महाराष्ट्र पुलिस</a></strong></p> <p style="text-align: justify;">हाइकोर्ट ने पूछा कि अभी भी पुलिस से जुड़े दस्तावेज आरोपी को नहीं मिले. कैसे पता चलेगा की नवलखा को क्यों गिरफ्तार किया गया? क्या जिन लोगों की मौजूदगी में पुलिस ने गिरफ्तारी दिखाई वो लोग कोर्ट में पुलिस के साथ ही आये थे. कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब नवलखा को गिरफ्तार किया गया था तो क्या लोकल पुलिस भी उनके साथ थी?</p> <p style="text-align: justify;">हाइकोर्ट ने कहा, ''क्या उनको जानकारी दी गई थी कि नवलखा पर क्या आरोप हैं और क्यों गिरफ्तार किया गया है?'' कोर्ट ने पूछा कि क्या पिछले साल 31 दिसंबर को आरोपी हिंसा वाली जगह पर थे? इसके जवाब में सरकारी वकील ने कहा कि वो वहां नहीं थे.</p> <p style="text-align: justify;">हाइकोर्ट ने कहा कि अगर मजिस्ट्रेट को पूरी तरह से मामला समझ नहीं आया तो आरोपी को बाहर ट्रांज़िट रिमांड पर भेजने का आदेश नहीं दिया जा सकता.</p> <p style="text-align: justify;"><strong><a href="https://abpnews.abplive.in/india-news/varva-rao-gonzalvis-and-gautam-navlakha-work-for-naxals-says-bjp-951994">BJP बोली- राहुल गांधी के दुलारे हैं वरवरा राव, गोंजाल्विस और गौतम नवलखा, नक्सलियों की दुकान चलाते हैं</a></strong></p> <p style="text-align: justify;">महाराष्ट्र पुलिस नवलखा को गिरफ्तार कर उन्हें पिछले साल 31 दिसंबर को आयोजित ‘एल्गार परिषद’ कार्यक्रम को लेकर दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में पुणे ले जाना चाहती थी. पुलिस ने साकेत जिला अदालत से नवलखा को ट्रांजिट रिमांड पर पुणे ले जाने की अनुमति ली थी. जिसपर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी.</p> <p style="text-align: justify;">इससे पहले मंगलवार को भी हाईकोर्ट ने कहा था कि दस्तावेजों से यह पता नहीं चलता है कि नवलखा के खिलाफ क्या मामला है. न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कहा ‘‘उनके खिलाफ क्या विशेष आरोप हैं.’’ इस पर अदालत में मौजूद महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया.</p> <p style="text-align: justify;">महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने मंगलवार को देशव्यापी कार्रवाई करके हैदराबाद से तेलुगू कवि वरवर राव को गिरफ्तार किया था जबकि वेरनन गोंसाल्विज और अरूण फरेरा को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था. इसी तरह पुलिस ने ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को हरियाणा के फरीदाबाद और सिविल लिबर्टी कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नई दिल्ली से गिरफ्तार किया था.</p> <p style="text-align: justify;">पिछले साल 31 दिसंबर को ‘एल्गार परिषद’ नाम के एक कार्यक्रम के बाद पुणे के पास कोरेगांव-भीमा गांव में दलितों और अगड़ी जाति के पेशवाओं के बीच हुई हिंसा की जांच के सिलसिले में पुलिस ने इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की थी. पुलिस के इस कदम की विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की है और इसे इमरजेंसी जैसे हालात बताए हैं.</p> <p style="text-align: justify;"><strong><a href="https://abpnews.abplive.in/india-news/yashwant-sinha-big-statement-on-bhima-koregaon-violence-case-951824">भीमा कोरेगांव मामला: गिरफ्तारियों पर बोले यशवंत सिन्हा- देश में अब भी हैं आपातकाल जैसे हालात</a></strong></p> <code><iframe class="vidfyVideo" style="border: 0px;" src="https://ift.tt/2MD7H0g" width="631" height="381" scrolling="no"></iframe></code>
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