<p style="text-align: justify;"><strong>Mahatma Gandhi Jayanti:</strong> विवेक जब शून्य हो जाता है, तब व्यक्ति भीड़ का हिस्सा बन जाता है, और ऐसी विवेक-शून्य भीड़ क्या कुछ करती है, आज के इस दौर में यह बताने की जरूरत शायद नहीं रह गई है. आज से सवा सौ साल पहले मोहनदास करमचंद गांधी
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